भारत की राष्ट्रपति ने आदि जगद्गुरु श्री शिवरात्रिश्वर शिवयोगी महास्वामीजी के 1066वें जयंती समारोह का उद्घाटन किया
तेजी से बदलते और अनिश्चितता भरे इस युग में, सामाजिक सद्भाव, नैतिक अगुआई, युवा सशक्तिकरण और आंतरिक सौहार्द को पोषित करने के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन आवश्यक है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु
राष्ट्रपति भवन : 16.12.2025
भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 16 दिसंबर, 2025 को कर्नाटक के मांड्या जिले के मलावल्ली में आदि जगद्गुरु श्री शिवरात्रिश्वर शिवयोगी महास्वामीजी के 1066वें जयंती समारोह का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि युगों-युगों से संतों ने अपने ज्ञान और करुणावश मानवता को आलोकित किया है। उन्होंने हमें जीवनभर यह सिखाया कि सच्ची महानता अधिकार मिलने या धन में नहीं बल्कि त्याग, सेवा और आध्यात्मिक क्षमता में निहित है। ऐसे महान संतों में आदि जगद्गुरु श्री शिवरात्रिश्वर शिवयोगी महास्वामीजी प्रकाश और प्रेरणा के सितारे के रूप में प्रकाशमान हैं।
राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि मठ के मार्गदर्शन और संरक्षण में जेएसएस महाविद्यालय भारत के ऐसे प्रतिष्ठित संस्थानों में शामिल हो रहा है जो शिक्षा और सामाजिक विकास को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया भर में फैले अपने केंद्रों के माध्यम से, यह संस्थान युवाओं का भविष्य संवारने, स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने, महिलाओं को सशक्त बनाने, ग्रामीण समुदायों का उत्थान करने, संस्कृति का संरक्षण करने तथा समावेशी समाज की नींव को मजबूत करने का कार्य कर रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज के तेजी से बदलते दौर में, समाज में भाईचारा, ईमानदारी और युवाओं को सही दिशा देने के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन बहुत जरूरी है। जैसे-जैसे हम 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं, हमें प्रौद्योगिकी की ताकत और मूल्यों की शक्ति दोनों की आवश्यकता होगी। विकसित भारत के लिए आधुनिक शिक्षा सहित नैतिक ज्ञान, नवाचार सहित पर्यावरणीय जिम्मेदारी, आर्थिक विकास सहित सामाजिक समावेश और प्रगति के साथ करुणा को भी साथ लेकर चलना है। भारत सरकार इसी समग्र दृष्टिकोण के साथ कार्य कर रही है। सुत्तूर मठ जैसे संस्थानों को इस राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में अहम भूमिका निभानी है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे युवा - उनकी ऊर्जा, रचनात्मकता, मूल्य और चरित्र हमारी सबसे बड़ी ताकत है। भारत का भविष्य केवल उनके कौशल और ज्ञान से नहीं बल्कि उनकी ईमानदारी और उद्देश्य की भावना से बनेगा। उन्होंने सुत्तूर मठ जैसे संस्थानों से आग्रह किया कि वे युवाओं को प्रेरित करके जिम्मेदार नागरिक बनाते रहें और भारत के भविष्य के निर्माताओं का मार्गदर्शन करते रहें।
